क्या हैं डेंटल इम्प्लांट और क्यों
मचाई है इसने दन्त चिकित्सा जगत में खलबली
प्राकृतिक दांतों के दो हिस्से होते है, एक वह ऊपरी हिस्सा जो हमें दिखाई देता है क्राउन और दूसरा जड़ें जो अंदर हड्डी में होती हैं | डेंटल इम्प्लांट लकड़ी में लगाए जाने वाले स्क्रू की तरह होता है, यह इंप्लांट् असली दांतो की जड़ की तरह काम करता है| सामान्यतः टाइटेनियम या जरकोनिया से बने इंप्लांट् के सहारे एक कैप या बहुभागी ब्रिज प्राकृतिक दांतों के स्थान पर लगाए जाते हैं |
डेंटल इम्प्लांट एक बहुत छोटी सी सर्जरी से हड्डी में डाले जाते हैं, सर्जरी के दौरान सिर्फ दांतों के हिस्से को सुन्न किया जाता है | यह प्रक्रिया दांतों को निकालने की प्रक्रिया जैसी ही होती है और इसमें समय भी कम लगता है, लगभग ३० मिनट से १ घंटा | डेंटल इंप्लांटस को कृत्रिम दांतों में अब तक का सबसे कारगर उपचार माना जाता है | इम्प्लांट्स से पहले टूटे या गिरे हुए दांतों के स्थान पर ब्रिज या डेन्चर्स का इस्तेमाल होता था जिन्हे निकला जा सकता है |
इम्प्लांट्स बेहतर क्यों हैं?
१. इसका पहला कारण यह है की ब्रिज जैसे नकली दांतों को लगाने के लिए आसपास दांतों को घिसा जाता है वह एक अपरिवर्तनीय या बेबदल प्रक्रिया है जो कि इंप्लांट् में हमें नहीं करनी पड़ती, यानी आसपास के दांतों को नुकसान नहीं होता
२. दूसरा इंप्लांट् पर लगाया हुआ कैप खाना खाते वक्त या बात करते वक्त नकली जबड़ों (डेन्चर्स ) की तरह मुंह से बाहर नहीं आता |
३. तीसरा फायदा इंप्लांट् का यह है कि वह जबड़े की हड्डी को पकड़ कर रखता है और समय के साथ कम नहीं होने देता जिससे कि हड्डी जीवनकाल तक पहले जैसी बनी रहती है जबकि डेन्चर्स या ब्रिज को लगभग 5 से 7 सालों में दोबारा बदलने की आवश्यकता पड़ती है |
सबसे बड़ा फायदा जो डेंटल इंप्लांट्स का – यह दांत बिल्कुल प्राकृतिक दांतो की तरह दिखते हैं और महसूस होते हैं | इम्प्लांट्स कुछ समय में शरीर का हिस्सा बन जाते हैं जैसे कोई नकली चीज़ आपके मुंह में लगी ही ना हो | प्राकर्तिक दांतों की तरह किसी भी प्रकार के मनचाहे नरम या सख्त भोजन का आनंद ले सकते हैं |
डेंटल इम्प्लांट केवल एक या दो दांतों के लिए ही नहीं है जिनके सारे दांत गिर चुके हैं और वह जीवन भर चलने वाला कोई उपाय चाहते हैं तो 7 या 8 इंप्लांट्स की मदद से पूरी तरह से स्थिर रहने वाले सभी दांत भी लगाए जा सकते हैं |
क्या आप डेंटल इम्प्लांट लगवा सकते हैं?
१ एक ऐसा व्यक्ति जो धूम्रपान न करता हो
२ जिसकी जबड़े की हड्डी, अच्छी गुणवत्ता और मात्रा में उन्हें इंप्लांट्स लगवाने में आसानी होगी
इसके साथ एक अच्छा दन्त्य स्वास्थ्य और सार्विक स्वास्थ्य भी होना चाहिए ताकि इंप्लांट् के फेल होने के आसार कम हो | इम्प्लांट्स लगवाते समय मुंह के बाकी दांत किसी भी सड़न, अत्यधिक घिसे हुए या फिर मसूड़े सूजन से मुक्त होने चाहिए |
अगर आप मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दमा, आर्थराइटिस, थायराइड या अन्य किसी बीमारी से पीड़ित है तो इसकी जानकारी अपने डेंटिस्ट को इंप्लांट् लगवाने से पहले जरूर दें | यदि डेंटिस्ट को लगता है कि आपके जबड़े में इंप्लांट् लगाने के लिए हड्डी की मात्रा कम है तो कृत्रिम हड्डी ग्राफ्ट भी की जाती है |
यदि आपने पीछे के दांतों मैं इंप्लांट् करवाया है तो सर्जरी के तीन से चार महीनों बाद जब इंप्लांट् हड्डी में पूरी तरह जुड़ जाता है तब कैप या क्राउन इंप्लांट् के ऊपर फिक्स किया जाता है | सामने के दांतों मैं इंप्लांट् करते वक्त डेंटिस्ट अक्सर एक अस्थाई या टेंपरेरी क्राउन लगाते हैं ताकि आपका चेहरा देखने में खराब ना लगे जो की सही समय आने पर स्थाई या परमानेंट क्राउन से बदल दिया जाता है |
डेंटल इम्प्लांट की देखभाल कैसे करें ?
जिस तरह हमारे प्राकृतिक दांतों को नियमित रूप से देखभाल रखने और डेंटिस्ट के पास जाने की जरूरत पड़ती है उसी तरह डेंटल इंप्लांट्स को भी देखभाल की जरूरत होती है | अगर आप चाहते हैं कि आपके इम्प्लांट्स और दांतो के आसपास गंदगी या प्लाक जमा ना हो तो नियम के अनुसार ब्रशिंग और फ्लौसिंग आवश्यक है | समय समय पर डेंटिस्ट से चेक अप लिए जाना जरूरी है ताकि यह आश्वस्त किया जा सके कि आपका इंप्लांट् , दांत और मसूड़े स्वस्थ अवस्था में है |
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Dr. Jyoti Singh (MDS), Diplomate WICO (Japan region) stands as a beacon of excellence in implantology within Delhi NCR region. She is a BDS and MDS(Prostho) both from Maulana Azad Institute of Dental Sciences, where she secured top honors with all India rank 1 in PG entrance examination. Her extensive experience at esteemed institutions like Clove Dental and her own Center for Dental Implants & Esthetics since 2016, Dr. Singh embodies unparalleled expertise in dental implants.
Boasting a wealth of 16 years in dentistry and backed by 18 groundbreaking research papers in leading international journals (google scholar), she epitomizes the pinnacle of proficiency and innovation in her field. She practices in Gurugram.